Talak ke aadhar kya hai in hindi
Talak ke aadhar kya hai in hindi
तलाक के आधार क्या हैं
हिन्दू लॉ के अनुसार बिना किसी आधार के आप तलाक़ नहीं ले सकते हो । हिन्दू संस्कृति में तलाक को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है । तलाक के मामलों में कुछ विशिष्ट आधार हैं सिर्फ उन पर ही तलाक की याचिका दर्ज की जा सकती है।
हिंदू मैरिज एक्ट , 1955 की धारा 13 (1) में नौ ऐसे आधार दिए गए हैं जिस पर या तो पति या पत्नी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकते हैं, और धारा 13 (2) में चार ऐसे आधार दिए गए है जिस पर सिर्फ पत्नी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकती हैं।
इसका मतलब यह है कि पत्नी के पास 13 ऐसे आधार है जिन पर वो अपने पति से तलाक ले सकती है और पति के पास सिर्फ 9 आधार है जिन पर वो अपने पत्नी से तलाक ले सकता है ।
तो अब हम सबसे पहले तलाक़ के उन आधारों के बारे में जानेंगे जिन पर पति या पत्नी में से कोई भी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकते है -
1. पति या पत्नी का किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाना-
शादी के बाद यदि पति अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी ओरत के साथ शारीरिक संबंध बनाता है तो पत्नी इस आधार पर अपने पति से तलाक ले सकती हैं , इसी प्रकार यदि पत्नी अपने पति के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाती है तो पति इस आधार पर अपने पत्नी से तलाक ले सकता है।
2. क्रूरता -
एक पति या पत्नी तलाक के लिए केस दर्ज कर सकते है जब उनके पार्टनर ने उनके साथ क्रूरता की हो । क्रूरता
मानसिक या शारीरिक दोनों में से किसी भी प्रकार हो सकती है।
3. परित्याग -
अगर पति या पत्नी अपने साथी को कम से कम दो साल की लगातार अवधि के लिए छोड़ दे तो वो साथी परित्याग के आधार पर तलाक का मामला दायर कर सकता हैं।
4. धर्मान्तरण -
यदि पति या पत्नी में से किसी ने भी अपना धर्म बदल लिया है जिसके कारण वो अब हिन्दू नहीं रहा है तो दूसरा साथी इस आधार पर तलाक का मामला दायर कर सकता हैं।
5. मानसिक विकार -
यदि पति या पत्नी में से कोई मानसिक विकार या पागलपन से पीड़ित है जिसके कारण जोड़े से एक साथ रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। तो दूसरा साथी इस आधार पर तलाक की याचिका दायर कर सकता हैं।
6. लाइलाज कुष्ठ रोग
यदि विवाह के एक पक्षकार को लाइलाज कुष्ठ रोग है तो दूसरा साथी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता हैं।
7. संक्रामक गंभीर बीमारी
यदि जीवन साथी एक ऐसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है जो आसानी से संक्रमणीय है तो दूसरा साथी इस आधार पर तलाक के लिए याचिका दायर की जा सकती है। एड्स जैसे रोग ऐसी बीमारी के अंतर्गत आते है।
8. सांसारिक मामलों का त्याग
यदि विवाह का एक पक्षकार किसी धार्मिक आदेश को अपनाने से सभी सांसारिक मामलों का त्याग करता है, तो दूसरा साथी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता हैं।
9. लगातार सात साल तक जिंदा होने के बारे में नहीं सुनना -
अगर किसी व्यक्ति को 7 साल की लगातार अवधि तक जिन्दा देखा या सुना नहीं जाता है, तो उस व्यक्ति को मृत मान लिया जाता है । और दूसरा साथी इस आधार पर तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता है ।
अब हम उन आधारों के बारे में जानेंगे जिन पर तलाक की याचिका केवल पत्नी की ओर से दायर की जा सकती हैं:
1. अगर शादी हिंदू मैरिज एक्ट के लागू होने से पहले हुई है और पति ने पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी औरत से शादी की है, तो पहली पत्नी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकती है।
2. अगर पति बलात्कार , गुदामैथुन, या पशुगमन का दोषी है तो पत्नी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकती है।
3. यदि एक लड़की का विवाह 15 साल की उम्र से पहले कर दिया गया था और यदि वो शादी को तोड़ना चाहती है तो वो तलाक के लिए याचिका दायर कर सकती है जब तक उसकी उम्र 18 साल नहीं हो जाती।
4. यदि पत्नी को भरण पोषण दिलवाने के लिए कोर्ट ने पति के विरुद्ध कोई आदेश दिया हो और उस आदेश के एक साल बाद भी पति-पत्नी के बीच सहवास वापिस आरम्भ नहीं हुआ है, तो पत्नी तलाक के लिए याचिका दे सकती है।