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Friday, September 18, 2020

September 18, 2020

Talak ke aadhar kya hai in hindi

Talak ke aadhar kya hai in hindi

तलाक के आधार क्या हैं 

           हिन्दू लॉ के अनुसार बिना किसी आधार के आप तलाक़ नहीं ले सकते हो । हिन्दू संस्कृति में तलाक को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है ।  तलाक के मामलों में कुछ विशिष्ट आधार हैं सिर्फ उन पर ही तलाक की याचिका दर्ज की जा सकती है। 

             हिंदू मैरिज एक्ट , 1955 की धारा 13 (1) में नौ ऐसे आधार दिए गए हैं जिस पर या तो पति या पत्नी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकते हैं, और धारा 13 (2) में चार ऐसे आधार दिए गए है जिस पर सिर्फ पत्नी  तलाक के लिए याचिका  दायर कर सकती हैं।

इसका मतलब यह है कि पत्नी के पास 13 ऐसे आधार है जिन पर वो अपने पति से तलाक ले सकती है और पति के पास सिर्फ 9 आधार है जिन पर वो अपने पत्नी से तलाक ले सकता है ।


 तो अब हम सबसे पहले तलाक़ के उन आधारों के बारे में जानेंगे जिन पर पति या पत्नी में से कोई भी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकते है -

1. पति या पत्नी का किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाना-

शादी के बाद यदि पति अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी  ओरत के साथ शारीरिक संबंध  बनाता है तो पत्नी इस आधार पर अपने पति से तलाक ले सकती हैं , इसी प्रकार यदि पत्नी अपने पति के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाती है तो पति इस आधार पर अपने पत्नी से तलाक ले सकता है।


2. क्रूरता - 

एक पति या पत्नी तलाक के लिए केस दर्ज कर सकते है जब उनके पार्टनर ने उनके साथ क्रूरता की हो । क्रूरता 

मानसिक या शारीरिक दोनों में से किसी भी प्रकार हो सकती है।


3. परित्याग -

अगर पति या पत्नी अपने साथी को कम से कम दो साल की लगातार अवधि के लिए छोड़ दे तो वो साथी परित्याग के आधार पर तलाक का मामला दायर कर सकता हैं।


4. धर्मान्तरण - 

यदि पति या पत्नी में से किसी ने भी अपना धर्म बदल लिया है जिसके कारण वो अब हिन्दू नहीं रहा है तो दूसरा साथी इस आधार पर तलाक का मामला दायर कर सकता हैं।


5. मानसिक विकार - 

यदि पति या पत्नी में से कोई मानसिक विकार या पागलपन से पीड़ित है जिसके कारण जोड़े से एक साथ रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। तो दूसरा साथी इस आधार पर तलाक की याचिका दायर कर सकता हैं।


6. लाइलाज कुष्ठ रोग 

यदि विवाह के एक पक्षकार को लाइलाज कुष्ठ रोग है  तो दूसरा साथी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता हैं।


7. संक्रामक गंभीर बीमारी

यदि जीवन साथी  एक ऐसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है जो आसानी से संक्रमणीय है तो दूसरा साथी इस आधार पर तलाक के लिए याचिका दायर की जा सकती है। एड्स जैसे रोग ऐसी बीमारी के अंतर्गत आते है।



8. सांसारिक मामलों का त्याग

यदि विवाह का एक पक्षकार किसी धार्मिक आदेश को अपनाने से सभी सांसारिक मामलों का त्याग करता है, तो दूसरा साथी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता हैं। 


9. लगातार सात साल तक जिंदा होने के बारे में नहीं सुनना -  

 अगर किसी व्यक्ति को 7 साल की लगातार अवधि तक जिन्दा देखा या सुना नहीं जाता है, तो उस व्यक्ति को मृत मान लिया जाता है । और  दूसरा साथी इस आधार पर तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता है ।


अब हम उन आधारों के बारे में जानेंगे जिन पर तलाक की याचिका केवल पत्नी की ओर से दायर की जा सकती हैं:

1. अगर शादी हिंदू मैरिज एक्ट के लागू होने से पहले हुई है और पति ने पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी औरत से शादी की है, तो पहली पत्नी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकती है।


2. अगर पति  बलात्कार , गुदामैथुन, या पशुगमन का दोषी है तो पत्नी तलाक के लिए याचिका दायर कर सकती है।


3. यदि एक लड़की का विवाह 15 साल की उम्र से पहले कर दिया गया था और यदि वो शादी को तोड़ना चाहती है तो वो तलाक के लिए याचिका दायर कर सकती है जब तक उसकी उम्र 18 साल नहीं हो जाती।


4. यदि पत्नी को भरण पोषण दिलवाने के लिए कोर्ट ने पति के विरुद्ध कोई आदेश दिया हो और उस आदेश के एक साल बाद भी पति-पत्नी  के बीच सहवास वापिस आरम्भ नहीं हुआ है, तो पत्नी तलाक के लिए याचिका दे सकती है।






    

    


Wednesday, September 16, 2020

September 16, 2020

SDM KAISE BANE IN HINDI

 SDM kaise bane?

इस पोस्ट में हम एसडीएम बनने के प्रोसेस के बारे में जानेंगे। 


इस पोस्ट में हम जानेंगे

1. SDM क्या होता है?

2. SDM बनने के लिए क्या क्वॉलिफ़िकेशन चाहिए?

3. फॉर्म भरने के लिए कितना परसेंट चाहिए?

4. SDM बनने के कितने तरीके हैं?

5. Age limit कितना होता है?

6. एग्जाम का पैटर्न क्या होता है?


एसडीएम क्या होता है? 

SDM की फुल फॉर्म “Sub Divisional Magistrate” होती है। एसडीएम को हिन्दी में “उप प्रभागीय मजिस्ट्रेट” कहते है। 

यह जिले स्तर से छोटे तहसील, उप प्रभाग या उप खंड का प्रशासनिक अधिकारी होता है । एसडीएम उपखंड स्तर पर सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी होता है, एसडीएम का उपखंड के सभी तहसीलदारों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण होता है।

उप खंड की संपूर्ण भूमि का लेखा जोखा एसडीएम के पास मौजूद होता है। इसके अलावा SDM का प्रमुख कार्य विवाह रजिस्ट्रेशन , विभिन्न प्रकार के पंजीकरण, अनेक प्रकार के लाइसेंस जारी करवाना, किसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित व्यक्तियों को सहायता उपलब्ध करवाना  है ।

दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत SDM को मजिस्ट्रेट के कार्य भी दिए गए हैं।


2. SDM बनने के लिए क्या क्वॉलिफ़िकेशन चाहिए?

एसडीएम बनने के लिए उम्मीदवार का ग्रेजुएट होना जरूरी हैं, आपने चाहे किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन की हो आप एसडीएम का एग्जाम दे सकते हो।

यदि आपने BA, BCOM, BSC, BCA, BBA, इंजीनियरिंग, होटल मैनेजमेंट और मेडिकल आदि किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएशन किया है तो आप एसडीएम पद के लिए फॉर्म भर सकते हैं।


3. फॉर्म भरने के लिए कितना परसेंट चाहिए?

एसडीएम पद के लिए फॉर्म भरने के लिए कोई मिनिमम परसेंटेज की जरूरत नहीं है , सिर्फ उम्मीदवार का ग्रेजुएट होना जरूरी हैं।


4. SDM बनने के कितने तरीके हैं?

एसडीएम आप दो तरीकों से बन सकते हो-

1. यूपीएससी का पेपर पास करके 

UPSC भारत की प्रमुख केंद्रीय भर्ती एजेंसियों में से एक है। यह कई सरकारी नौकरियो के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है। यूपीएससी आईएएस के लिए भी हर साल परीक्षा का आयोजन करता है। इसमें पूरे देश के छात्र आवेदन कर सकते हैं। आईएएस में जो कैंडिडेट सेलेक्ट होते हैं उन्हें ट्रेनिंग पुरी कर लेने के बाद एसडीएम का ही पद मिलता है , और कुछ सालो बाद उन्हें डीएम का पद मिल जाता हैं।


2. राज्यो के पीएससी द्वारा करवाए जाने पेपर को पास करके

यूपीएससी की तरह ही अलग अलग राज्यो का अपना पीएससी होता है जैसे राजस्थान के लिए आरपीएससी, एमपी के लिए एमपी पीएससी, यूपी के लिए यूपी पीएससी।

प्रत्येक राज्य का पीएससी अपने राज्य में सिविल सेवाओं के लिए परीक्षा का आयोजन करवाता है । इसमें पूरे देश के छात्र आवेदन कर सकते हैं। इस परीक्षा में जो कैंडिडेट ऊंची रैंक के साथ सेलेक्ट होते हैं उन्हें एसडीएम बनाया जाता है । 

इस परीक्षा में पास होने वाले सभी कैंडिडेट को एसडीएम नहीं बनाया जाता है अलग अलग रैंक के हिसाब से अलग अलग पद मिलते है  सिर्फ टॉपर्स को ही एसडीएम का पद मिलता है।



5. एसडीएम बनने के लिए  Age limit कितना होता है? 

यूपीएससी के जरिए एसडीएम  बनने के लिए उम्र सीमा 21 साल  से 32 साल के बीच तक की होनी  चाहिए  अर्थात minimum age 21 साल है और maximum age 32 साल है । इसके अलावा ओबीसी उम्मीदवारों को 3 साल और SC / ST उम्मीदवारों के लिए 5 साल की छुट मिलती है ।


6. एसडीएम पद के लिए होने वाले एग्जाम का पैटर्न क्या होता है?

एसडीएम पद के लिए जो एग्जाम होता है वो 3 चरणों में पूरा होता है 

1. प्रारम्भिक परीक्षा (Preliminary Exam)

2. मुख्य परीक्षा (Main Exam)

3. साक्षात्कार (Interview)


1.प्रारंभिक परीक्षा

एसडीएम बननें का यह पहला चरण है, इस परीक्षा  हमें दो पेपर्स देने होते हैं, जिनमें पहला पेपर है सामान्य अध्ययन का और दूसरा पेपर है सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (Civil Services Aptitude Test) 

हर पेपर 200 अंक का होता है, दोनों पेपर्स में ऑब्जेक्टिव टाइप  सवाल पूछे जाते हैं। हर पेपर के लिए दो घंटे का समय दिया जाता है। यह परीक्षा आप हिंदी या अंग्रेजी किसी भी भाषा में दे सकते हो।

प्रारम्भिक परीक्षा के अंक फाईनल मेरिट में नही जोड़ा जाते है लेकिन प्रारंभिक परीक्षा को पास किये बिना आप मुख्य परीक्षा भी नहीं दे सकते हो । फाईनल मेरिट में केवल मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू मे प्राप्त किये अंकों को ही जोड़ा जाता है


2.मुख्य परीक्षा

प्रारंभिक परीक्षा में पास होने वाले कैंडिडेट्स को मुख्य परीक्षा में शामिल किया जाता है ,  मुख्य परीक्षा में कुल नौ पेपर्स होते हैं इनमें सब्जेक्टिव प्रकार के प्रश्न आते हैं यानी 10 वी क्लास की तरह उतर लिखने पड़ते है। प्रत्येक पेपर  को हल करने के लिए 3 घंटे का समय मिलता है। मुख्य परीक्षा भी आप हिंदी या अंग्रेजी किसी भी भाषा में दे सकते हो।

मुख्य परीक्षा के नंबर फाइनल  मेरिट में  जोड़ा जाते है । इस परीक्षा में पास होने वाले छात्र को इंटरव्यू के लिए  बुलाया जाता है |


3. Interview

यह इस परीक्षा का अंतिम चरण है,  लिखित परीक्षा  को पास करने के बाद आपको इंटरव्यू के लिये बुलाया जाता है।  इंटरव्यू में पास किये गये अंक आपकी मेरिट लिस्ट में जोड़े जाते हैं। इंटरव्यू हम अपनी मनपसन्द भाषा में दे सकते हैं जैसे हिंदी या अंग्रेजी इन्त्यादि। 


इंटरव्यू के अंक और मुख्य परीक्षा के अंकों को जोड़कर अलग अलग कैटेगरी के हिसाब से मेरिट लिस्ट बनाई जाती हैं जो कैंडिडेट इस लिस्ट में आते हैं उन्हें ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता है।


Tuesday, August 25, 2020

August 25, 2020

वकील (Advocate) कैसे बने ? || How to become an advocate || How to become a lawyer

अगर आप एक ऐडवोकेट  बनना चाहते है  या अपने बच्चों को ऐडवोकेट बनाना चाहते हो तो इस पोस्ट को पूरा पढ़े , इस पोस्ट में हम जानेंगे की -

वकील यानी ऐडवोकेट कैसे बने ? 

एक वकील बनने के लिए हमारे पास क्या क्या क्वालिफिकेशन होनी चाहिए?

वकील बनने के लिए क्या पढ़ना पड़ता है?

वकील बनने के लिए कोनसा एग्जाम देना पड़ता है?

 

आइये अब हम  ऐडवोकेट बनने की पूरी जानकारी स्टेप बाई स्टेप जानेंगे -


First step - लॉ में ग्रेजुएट होना जरूरी

वकील बनने के लिए लॉ में ग्रेजुएट होना जरूरी है अर्थात् एलएलबी की डिग्री होना जरूरी है।  एलएलबी की फुल फॉर्म बेचलर ऑफ़ लॉज़ (Bachelor of Laws)  होती है, इसे हिंदी में विधि स्नातक भी कहते है।


एलएलबी (LLB ) कैसे करे ?

एलएलबी आप दो तरीकों से कर सकते हो -

• 12 वीं पास करने बाद जो की 5 साल साल का कोर्स होता है

• स्नातक (ग्रेजुएशन ) करने के बाद जो कि 3 साल का कोर्स होता है


12 वी के बाद एलएलबी करने का प्रोसेस -

इसके लिए सबसे पहले आपको 12 वी तक स्कूल की पढाई पूरी करनी होगी । आप यह पढाई किसी भी सब्जेक्ट को लेकर  कर सकते है , एलएलबी करने लिए यह आवश्यक नहीं है कि आपने अपनी 12 वीं  कक्षा किसी विशेष विषय से पास की हो। आप 12 वी कक्षा आर्ट्स , कॉमर्स या साइंस में से किसी भी सबजेक्ट से कर सकते हो । 

12 वीं के बाद एलएलबी की पढाई करने के लिए यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेने के लिए आपके पास दो विकल्प है- 


• बिना किसी एंट्रेंस एग्जाम के एलएलबी में प्रवेश। 

• एंट्रेंस एग्जाम देकर पास होने के बाद एलएलबी में प्रवेश। 


  अब इन दोनों को विस्तार से समझते है। 


1.  एंट्रेंस एग्जाम के बिना एलएलबी में एडमिशन

भारत में ऐसे कई प्राइवेट कॉलेज है जो बिना किसी एंट्रेंस एग्जाम के भी एलएलबी में एडमिशन देते है , यह कॉलेज किसी न किसी यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए होते है। 


2. एंट्रेंस एग्जाम  देकर एलएलबी में एडमिशन

भारत देश में ऐसे कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी है जो की एलएलबी में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करते है। 

भारत में आल इंडिया लेवल पर CLAT एग्जाम बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है,  जिसका पूरा नाम कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (Common Law Admission Test) है, इस एग्जाम को देने के बाद आप लॉ कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं ,

 • इस एंट्रेंस एग्जाम में आपसे अंग्रेजी ,  रीजनिंग , लीगल एप्टीट्यूड , गणित और जनरल अवेयरनेस के बारे में क्वेश्चन पूछे जाते है। 

• CLAT  का एग्जाम देने के लिए आपके 12 वी में कम से कम 45 प्रतिशत होने जरूरी है ।


इस एंट्रेंस एग्जाम के अलावा कुछ और भी यूनिवर्सिटी है जो एलएलबी में एडमिशन देने के लिए अलग से एंट्रेंस एग्जाम करवाते है



ग्रेजुएशन के बाद एलएलबी करने का प्रोसेस - 

ग्रेजुएशन के बाद एलएलबी का कोर्स 3 साल का होता है , इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि आपने ग्रेजुएशन किसी विशेष विषय से किया हो।  बीए, बीकॉम, या बीएससी चाहे कोई सा स्ट्रीम हो आप एलएलबी कर सकते हो।


Second step - स्टेट बार काउंसिल  में  पंजीकरण कराना जरूरी 

एलएलबी की पढाई पूरी कर लेने से ही आप वकील नहीं बन जाओगे ।  वकील बनने के लिए आपको एलएलबी की डिग्री पूरी होने के बाद  स्टेट बार काउंसिल (State bar) council में  पंजीकरण कराना पड़ेगा । 

उसके बाद स्टेट बार काउंसिल आपका अधिवक्ता पंजीकरण प्रमाण पत्र व् अधिवक्ता पहचान पत्र जारी करेगी, जिसके मिलने पर आप एक पंजीकृत अधिवक्ता के रूप में वकालत शुरू कर सकते है। 


Third step - आल इंडिया बार एग्जामिनेशन पास करना जरूरी 

अधिवक्ता पंजीकरण हो जाने के बाद आपको आल इंडिया बार एग्जामिनेशन (AIBE) को क्लियर करना होता है, इसे क्लियर करने के बाद आपको स्थायी अधिवक्ता पंजीकरण प्रमाण पत्र मिल जायेगा। 







    


Saturday, August 22, 2020

August 22, 2020

ट्रैफिक पुलिस से जुड़े नियम

 

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कभी ना कभी ट्रैफिक पुलिस से जरूर काम पड़ता है । यदि आपको कभी कोई ट्रैफिक पुलिस वाला रोकता है तो इससे बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए क्योंकि आपके पास भी कुछ अधिकार हैं, जिस तरह से आप नियमों से बंधे हैं, वैसे ही ट्रैफिक पुलिस के जवानों को भी नियम फॉलो करने पड़ते है


ट्रैफिक पुलिस से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमो के बारे जानेंगे -


1. ट्रैफिक पुलिस जवान का यूनिफॉर्म में रहना जरूरी

हर ट्रैफिक जवान को यूनिफॉर्म में रहना जरूरी है, यूनिफॉर्म पर बकल नंबर और उसका नाम होना चाहिए, अगर ये दोनों ट्रैफिक पुलिस के पास नहीं हैं तो आप उससे पहचान पत्र दिखाने को कह सकते हैं, अगर ट्रैफिक पुलिस अपना पहचान पत्र दिखाने से मना करता है तो आप अपनी गाड़ी के दस्तावेज उसे न दें।


2. चालान बुक या ई-चालान होना जरूरी

जिस ट्रैफिक पुलिस ने आपको रोका है, उसके पास चालान बुक या ई-चालान होना चाहिए. इसके बिना वो नियमानुसार चालान नहीं कर सकते.


3. ट्रैफिक पुलिस आपकी गाड़ी की चाबी नहीं छीन सकती

 ट्रैफिक पुलिस के जवान जबरदस्ती आपकी गाड़ी की चाबी नहीं निकाल सकते है, इसके अलावा  अगर आपकी गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी है तो क्रेन उसे तब तक नहीं उठा सकती, जब तक आप गाड़ी के अंदर बैठे हों।




4. गाड़ी के दस्तावेज दिखाने हैं, उन्हें ट्रैफिक पुलिस को सौंपना नहीं है 

जब भी आपको कोई ट्रैफिक पुलिस का जवान रोकता है तो आप गाड़ी आराम से किनारे लगाएं, अपनी गाड़ी के दस्तावेज उसे दिखाएं, ये ध्यान रखें कि मोटर वाहन अधिनियम के सेक्शन 130 के मुताबिक आपको गाड़ी के दस्तावेज दिखाने हैं, उन्हें ट्रैफिक पुलिस को सौंपना नहीं है, 


5. यदि आपके पास फाइन देने के लिए पैसे नहीं है तो क्या करे

अगर आपका चालान कटा है और आपके पास फाइन देने के लिए पैसे नहीं है तो आप फाइन बाद में भी दे सकते हैं,  इस सूरत में आपको कोर्ट चालान जारी किया जाएगा, एक तारीख दी जाएगी जब आपको कोर्ट में जाकर चालान देना होगा, इस स्थिति में ट्रैफिक अफसर आपका ड्राइविंग लाइसेंस अपने पास रख सकता है।


6. यदि आपका Driving License ज़ब्त हो गया हो उसकी receipt ज़रूर  ले 

यदि   कोई ट्रैफिक पुलिस वाला आपका Driving License ज़ब्त करता है तो आप उसकी receipt ज़रूर साथ ले के चलें।


7. बार- बार नहीं होगा चालान

ट्रैफिक नियमों के अनुसार एक नियम तोड़ने पर एक दिन में एक ही बार आपका चालान कटेगा, बार-बार नहीं। जैसे अगर हेलमेट न पहनने के लिए आपका एक बार चालान कट गया है तो फिर पूरे दिन में कोई दूसरा ट्रैफिक पुलिस अधिकारी हेलमेट न पहनने के लिए  आपका चालान नहीं काट सकता है और न ही आपसे जुर्माना ले सकता है।


8. आपको अपनी गाड़ी के यह चार दस्तावेज हमेशा साथ में रखने चाहिए

• आपका ड्राइविंग लाइसेंस (DL)

• गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), 

• गाड़ी की इंश्योरेंस सर्टिफिकेट,

• गाड़ी का PUC सर्टिफिकेट यानी पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट 


9. आपको ट्रैफिक के इन नियमों को फॉलो करना बहुत जरूरी है

• रेड लाइट  जंप नहीं करे

• प्रतिबंधित लेन में गाड़ी नहीं चलाए    

• प्रतिबंधित क्षेत्र में गाड़ी पार्क नहीं करे

• बाइक ड्राइविंग के दौरान हेलमेट लगाए रखना जरूरी है 

• कार ड्राइविंग के दौरान सीट बेल्ट लगाए रखना जरूरी है

• नंबर प्लेट नियम के मुताबिक लगी होनी चाहिए. • बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी नहीं चलाए


10. अगर ट्रैफिक नियम को तोड़ने पर ट्रैफिक पुलिस आपको हिरासत में लेती है तो हिरासत में लेने के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना जरूरी है.



    


August 22, 2020

Sarkari kam mai badha phunchane par konsi dhara lagti hai

 सरकारी काम में बाधा पहुँचाने वाले पर कौनसी धारा लागू होती है? और इसमें सजा क्या है ?


सरकारी काम में बाधा पहुँचाने वाले पर कौनसी धारा लागू होती है?

सरकारी काम में बाधा पहुँचाने वाले पर भारतीय दण्ड संहिता  की धारा 186 लागू होती है


 

धारा 186 क्या है?


भारतीय दंड संहिता की धारा 186 के अनुसार, जो भी कोई किसी लोक सेवक के सार्वजनिक कॄत्यों के निर्वहन में स्वेच्छा पूर्वक बाधा डालेगा, 

तो वह इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।



सरकारी काम में बाधा पहुँचाने वाले को कितनी सजा मिलती है?

यदि कोई व्यक्ति सरकारी काम में बाधा डालता है तो उसे आईपीसी की धारा 186 तहत  तीन महीने तक की कैद या 500 रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है


इस अपराध की प्रकति केसी है?

• यह एक जमानतीय और गैर-संज्ञेय अपराध है।

• किसी भी मॅजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

• यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।



    


August 22, 2020

Samaj mai aslilta felane par kanoon ।। Section 292, 293 ipc

 समाज में अश्लीलता फ़ैलाने पर आईपीसी की कौन सी धारा लागू होती है ?

समाज में अश्लीलता फैलाना भी संगीन गुनाह की श्रेणी में आता है। और ऐसा करने वाले व्यक्ति पर 

आईपीसी धारा 292, और धारा 293 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जाता है।


आईपीसी की धारा 292 क्या है?

आईपीसी की धारा 292 के अनुसार अश्लील साहित्य, अश्लील चित्र या फिल्मों को दिखाना, वितरित करना और इससे किसी प्रकार का लाभ कमाना या लाभ में किसी प्रकार की कोई भागीदारी कानून की नजर में अपराध है और इसके दायरे में वो लोग भी आते हैं जो अश्लील सामग्री को बेचते हैं या जिन लोगों के पास से अश्लील सामग्री बरामद होती है। पोर्न मूवी बेचने और खरीदने वाले भी इसी धारा के अन्तर्गत दोषी होंगे।


आईपीसी धारा 292 में सजा क्या होती है?

 अगर कोई पहली बार आईपीसी की धारा 292 के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे 2 साल की कैद और 2 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार या फिर बार-बार दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की कैद और 5 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।


आईपीसी की धारा 293 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 293 के अनुसार, जो कोई बीस वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को कोई अश्लील साहित्य, अश्लील चित्र या फिल्म बेचेगा, भाड़े पर देगा, वितरण करेगा, प्रदर्शित करेगा या परिचालित करेगा या ऐसा करने की प्रस्थापना या प्रयत्न करेगा तो वह 

इस धारा के अन्तर्गत दोषी होंगा।


आईपीसी धारा 293 में सजा क्या होती है?

 अगर कोई पहली बार आईपीसी की धारा 293 के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे 3 साल की कैद और 2 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार या फिर बार-बार दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की कैद और 5 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

    

    


August 22, 2020

Caveat Petition क्या होती है?


इस पोस्ट में हम निम्न टॉपिक के बारे में जानेंगे

Caveat Petition क्या होती है?

कैविएट पिटीशन किस धारा के अंतर्गत दायर की जाती है?

कैविएट पिटीशन कब दायर की जाती है?

कैविएट पिटीशन दायर करने के बाद क्या होगा?

Caveat Petition की वैधता कितने दिनों तक होती है ?

कैविएट में किन बातों को होना जरूरी होता है?



Caveat Petition क्या होती है?

केविएट एक लैटिन शब्द है  इसका मतलब होता है be aware , केविएट को सामान्य एवं प्रचलित भाषा में चेतावनी अथवा पूर्व सूचना कहा जाता है 

कैविएट  पिटीशन एक सुचना है जो एक पार्टी के द्वारा कोर्ट को दी जाती है जिसमें ये कहा जाता है कि कोर्ट एप्लिकेंट को बिना नोटिस भेजे विपक्षी पार्टी को कोई भी रिलीफ न दें, और ना ही कोई एक्शन ले।

Caveat Petition एक बचाव होती है, इसका फायदा लोग तब उठाते है जब उन्हें लगता है की कोई वाद जो उनसे सम्बंधित हो, में कोई एक्शन लिया जा सकता है।


कैविएट पिटीशन किस धारा के अंतर्गत दायर की जाती है?

कैविएट पिटीशन  CPC (Civil Procedure Code) की धारा 148-A अंतर्गत दायर की जाती है


कैविएट पिटीशन कब दायर की जाती है?

यदि किसी व्यक्ति को इस तरह की आशंका हो कि  उस के विरुद्ध किसी कोर्ट में कोई वाद या कार्यवाही संस्थित करके अथवा पहले से संस्थित किसी वाद या कार्यवाही में उसकी अनुपस्थिति में कोई आवेदन प्रस्तुत कर कोई आदेश प्राप्त किया जा सकता है। तो वह व्यक्ति उसी कोर्ट में कैविएट पेटिशन फाइल कर सकता है  ताकि अपोज़िट पार्टी कोर्ट में जब भी कोई भी ऐक्टिविटी  करेगी तो कोर्ट आपको सूचित कर देगा। आपको कैविएट पिटीशन में अपोज़िट पार्टी का नाम बताना होता है, जिस  पर आपको शक होता है कि वे आपके ख़िलाफ़ कोई एक्शन ले सकता है।

Caveat फाइल करने वाले व्यक्ति को Caveator कहा जाता है।


कैविएट पिटीशन दायर करने के बाद क्या होगा?

जब  एक बार  कैविएट फाइल कर दी जाती है तो  कोर्ट की यह ड्यूटी होती है कि जब भी उस Caveator के विरूद्ध अपोज़िट पार्टी कोई एक्शन लेती है तो कोर्ट उस Caveator को नोटिस भेजें और उसको उस वाद के बारे में इन्फॉर्म करें जो उसके खिलाफ फाइल किया गया है।


Caveat Petition की वैधता कितने दिनों तक होती है ?

Caveat Petition की वैधता 90 दिनों का होता है यानी कि जिस दिन आप कोर्ट में कैविएट पिटीशन फाइल कर देते है उसके 90 दिनों तक वो प्रभाव में रहती है।

अगर अपोज़िट पार्टी के द्वारा 90 दिनों के अंदर कोई केस कोर्ट में फाइल किया जाता है तो कोर्ट आपको  एक नोटिस भेजकर उस केस के बारे में सूचित करेगा । एक बार 90 दिनों का टाइम पूरा हो जाता है तो दोबारा आपको कैविएट पीटिशन फाइल करना होता है। 


आम तौर पर कैविएट में किन बातों को होना जरूरी होता है?

कैविएट पेटिशन में निम्न बातों का होना आवश्यक है –

कोर्ट का नाम होना जरूरी है जहाँ पर वाद को फाइल किया जाना है।

अगर वाद का कोई नंबर है तो वो भी उस पर मेंशन करना चाहिए।

उस व्यक्ति का नाम जिसके behalf पर कैविएट फाइल की जानी है।

उस वाद की सारी जानकारी।

कैविएटर का पूरा पता साफ-साफ लिखा होना चाहिए ताकि उसी पता पर कोर्ट के द्वारा उसे नोटिस भेजा जा सके।