समाज में अश्लीलता फ़ैलाने पर आईपीसी की कौन सी धारा लागू होती है ?
समाज में अश्लीलता फैलाना भी संगीन गुनाह की श्रेणी में आता है। और ऐसा करने वाले व्यक्ति पर
आईपीसी धारा 292, और धारा 293 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जाता है।
आईपीसी की धारा 292 क्या है?
आईपीसी की धारा 292 के अनुसार अश्लील साहित्य, अश्लील चित्र या फिल्मों को दिखाना, वितरित करना और इससे किसी प्रकार का लाभ कमाना या लाभ में किसी प्रकार की कोई भागीदारी कानून की नजर में अपराध है और इसके दायरे में वो लोग भी आते हैं जो अश्लील सामग्री को बेचते हैं या जिन लोगों के पास से अश्लील सामग्री बरामद होती है। पोर्न मूवी बेचने और खरीदने वाले भी इसी धारा के अन्तर्गत दोषी होंगे।
आईपीसी धारा 292 में सजा क्या होती है?
अगर कोई पहली बार आईपीसी की धारा 292 के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे 2 साल की कैद और 2 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार या फिर बार-बार दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की कैद और 5 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
आईपीसी की धारा 293 क्या है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 293 के अनुसार, जो कोई बीस वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को कोई अश्लील साहित्य, अश्लील चित्र या फिल्म बेचेगा, भाड़े पर देगा, वितरण करेगा, प्रदर्शित करेगा या परिचालित करेगा या ऐसा करने की प्रस्थापना या प्रयत्न करेगा तो वह
इस धारा के अन्तर्गत दोषी होंगा।
आईपीसी धारा 293 में सजा क्या होती है?
अगर कोई पहली बार आईपीसी की धारा 293 के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे 3 साल की कैद और 2 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार या फिर बार-बार दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की कैद और 5 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
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